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लेखनी कहानी -13-May-2022 वो कौन थी

"# शॉर्ट स्टोरी चैलेंज प्रतियोगिता हेतु" 

जॉनर : सस्पेंस , हॉरर 

वो कौन थी 

सुधांशु अपने ऑफिस से घर जाने की तैयारी कर ही रहा था कि उसके बेस्ट फ्रेंड हिमांशु का फोन आ गया "अरे सुन, आज नौ बजे घर आ जाना । पार्टी के लिए "डिस्को थीम" में चलेंगे । और हां , उस गधे प्रियांशु को भी ले आना । साला घर में पड़ा रहता है । उसको भी दुनिया के मजे करवा देते हैं" । 
"आज कोई खास बात है क्या ? बड़ा खुश लग रहा है । कोई लॉटरी वॉटरी लगी है क्या" ? 
"अरे नहीं यार । मैं इन लॉटरी वगैरह के झंझट में नहीं पड़ता । तू तो जानता ही है कि मैंने अभी थोड़े दिन पहले प्रॉपर्टी का बिजनेस शुरू किया था । आज एक बढिया सी डील हुई है । दस लाख का प्रॉफिट हुआ है इस डील में । बस, इसी खुशी को सेलिब्रेट करना है । तो ठीक है, मिलते हैं ठीक नौ बजे । मगर प्रियांशु को लाना मत भूलना" । 

और ठीक नौ बजे तीनों दोस्त इकठ्ठे हुए और हिमांशु की "बुलेट" पर चल दिए "डिस्को थीम" । "डिस्को थीम" में जमकर डांस किया तीनों ने । खूब दारू पी और दबाकर खाना खाया । पार्टी करते करते एक बज गया । तब तीनों दोस्त घर को रवाना हो गए । रास्ते में प्रियांशु को ड्रॉप किया और हिमांशु तथा सुधांशु अपने घर की ओर निकल पड़े । 

अपनी मस्ती में मग्न होकर वे दोनों "ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे" वाला गाना गाते हुए जा रहे थे कि अचानक रास्ते में सड़क के किनारे एक खूबसूरत लड़की को खड़े देखा । 25-26 साल की खूबसूरत जवान लड़की थी जो लिफ्ट मांग रही थी । हिमांशु ने बाइक रोक दी । 
"मुझे पटेल सर्किल तक लिफ्ट दे दो प्लीज" ? उस लड़की की आवाज में बेहद कशिश थी । 
"सॉरी मैम, मैं किसी अजनबी को लिफ्ट नहीं देता हूं" । हिमांशु आगे बढने लगा ।
"देखो, कितनी भयानक रात है । एक अकेली लड़की एक सुनसान जगह पर खड़ी है । उसके साथ कुछ भी हो सकता है यहां ? प्लीज,  छोड़ दीजिए न पटेल सर्किल पर" । दोनों हाथ जोड़कर वह लड़की बाइक के सामने खड़ी हो गई।  
"आगे से हट जाओ मैम, मैं लिफ्ट नहीं दूंगा । प्लीज,  जाने दो" हिमांशु ने दृढता से कहा ।

वह लड़की जिद करती रही पर हिमांशु टस से मस नहीं हुआ । आखिर लड़की ने अपना आखिरी दांव चल दिया 
"आप मेरे साथ रात गुजार लेना, पर मुझे लिफ्ट दे दो" । 
अब हिमांशु को गुस्सा आ गया और उसने बाइक आगे बढा दी । इतने में दो तीन युवक वहां आ गये और उन्होंने उस लड़की को लिफ्ट देने के लिए उन पर दवाब बनाया । हिमांशु फिर भी नहीं माना और उनमें लड़ाई हो गयी जो मारपीट में बदल गई । बाद में वे सब भाग गये । 

हिमांशु और सुधांशु दोनों घर आ गये । अलग अलग कमरे में जाकर दोनों सो गये । दारू के नशे में तो थे ही इसलिए कब नींद आ गई पता ही नहीं चला ।

सुबह नौ बजे सुधांशु की नींद खुली तो वह हिमांशु के कमरे में गया । वहां का नजारा देखकर वह घबरा गया । हिमांशु खून से लथपथ पड़ा था । उसने उसे अस्पताल में भर्ती कराया तो डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया । पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई तो सुधांशु ने रात का सारा वाकया हूबहू पुलिस  को बता दिया । मौका भी दिखा दिया । 

अब पुलिस को तलाश थी एक लड़की की जो 25-26 साल की एक खूबसूरत बला बताई गई । लेकिन ना तो नाम और ना ही कोई पता किसी के पास था । जांच आगे बढ़े तो कैसे बढे ? सबसे बड़ी पहेली तो रही थी कि "वो कौन थी" ? कोई कुछ नहीं जानता था उसके बारे में मगर इस मर्डर मिस्ट्री की मुख्य किरदार वही खूबसूरत लड़की थी । 

 पुलिस का शक सुधांशु पर भी था । सुधांशु की रैकी की जाने लगी । लेकिन पुलिस को कोई "क्लू" हाथ नहीं लगा । और उसकी बातों में सच्चाई नजर आई । घूम फिरकर बात वहीं पर आ गई थी "वो कौन थी" ? 

असमंजस में की दिन गुजर गये मगर कोई सुराग नहीं मिला । अचानक एक दिन एक वीडियो पुलिस के हाथ लगा । यह वीडियो उस रात की मार पिटाई का था । किसी राहगीर ने सड़क पर जाते जाते बना लिया था वह वीडियो और उसे वायरल कर दिया था । वह वीडियो दूर से बनाया गया था इसलिए चेहरे पहचान में नहीं आ रहे थे । मगर उसमें एक आवाज सुनाई दे रही थी "भाग, रेश्मा भाग" । उस वीडियो से उस लड़की का नाम पता चल गया था । वो कौन थी अब एक पहेली नहीं रह गई थी । अब तो 'रेशमा' नाम की गुत्थी को सुलझाना भर रह गया था ।

पुलिस अब रेश्मा नाम की लड़की की तलाश करने लगी । मगर इस नाम की कोई लड़की नहीं मिली जो उस वीडियो के हुलिये से मेल खाती हो । बड़ा पेचीदा मामला बन गया था यह । 

एक दिन दीपावली के अवसर पर कुछ "हिजड़े" आये थे थाने पर और बख्शीश के लिए नाचने गाने लगे । एक सिपाही वहां पर बैठा हुआ उस रात का वह वीडियो अपने मोबाइल पर देख रहा था कि एक हिजड़े की निगाह उस पर पड़ी । सिपाही ने उस हिजड़े से ऐसे ही पूछ लिया कि क्या वह उस लड़की को जानता है ? हिजड़े ने गौर से देखा और कहा "शायद यह रेश्मा है" । 

अब तो क्लू मिल गया था । हिजड़े ने कहा कि यह एक लड़की नहीं बल्कि "हिजड़ी" है । बड़ा चौंकाने वाला तथ्य सामने आया था । पुलिस ने सब हिजड़ों को टटोल लिया और रेश्मा हिजड़ी को पकड़ लिया । 

जब उससे कड़ी पूछताछ की गई तो उसने जो बताया उसे सुनकर पुलिस भी द॔ग रह गई । 

दरअसल रेश्मा कोई हिजड़ी नहीं थी । वह एक लड़का था । नाम था शाहिद । बचपन में उसका शरीर लड़कियों जैसा था इसलिए सब लोग उसे लड़की कहकर चिढाते थे । बाद में वह खुद भी अपने को लड़की समझने लगा । उसने देखा कि हिजड़े लोग खूब पैसा कमाते हैं । उसका शरीर भी कुछ कुछ लड़कियों जैसा ही था इसलिए वह हिजड़ा बनकर लोगों को मूर्ख बना सकता था । उसने ऐसा ही किया । वह फर्जी हिजड़ा बनकर ट्रेनों में यात्रियों से पैसा वसूल करने लगा । राजी राजी और गैर राजी भी । कई बार मारपीट भी की थी उसने पैसे के लिए यात्रियों से । 

एक बार एक ट्रेन में सचमुच के हिजड़ों ने उसे पकड़ लिया । उसकी तलाशी ली तो वह हिजड़ा नहीं पाया गया और फिर उसकी खूब धुनाई की उन हिजड़ों ने । तब उसने अपना "जैण्डर" चेंज करवाने का प्लान बनाया क्योंकि हिजड़ों की कमाई बहुत ज्यादा थी । उसने अपना ऑपरेशन करवाया और फिर मर्द से औरत बन गया । अब वह हिजड़ी के तौर पर पैसा कमा सकता था । इस प्रकार शाहिद लड़के से लड़की बन गया मगर काम हिजड़े के रूप में करने लगा । 

इस दौरान उसे एक जवान लड़का शादाब मिल गया था । दोनों जने हिजड़े बनकर लोगों से पैसे वसूल करने लगे । साथ साथ काम करते करते दोनों में प्यार हो गया और बाद में दोनों ने शादी भी कर ली । उन दोनों ने अपने गिरोह में एक दो और लड़कों को भी मिला लिया । 

।अब ये लोग गिरोह बनाकर रात में राहजनी करने लगे । रेश्मा सजधज कर सड़क के किनारे खड़ी होकर लिफ्ट मांगती । कोई फंस जाता था तो उसे सब लोग मिलकर लूट लेते थे । अब यही धंधा करने लगे थे वे लोग । 

उस दिन जब हिमांशु और सुधांशु दोनों "बुलेट" से आ रहे थे तब रेश्मा को हिमांशु के गले में पड़ी मोटी चैन दिखाई दे गई । मालदार आसामी समझ कर उसे लूटने का प्लान बन गया था रेश्म  के दिमाग में । मगर हिमांशु लिफ्ट देने को राजी ही नहीं हुआ । हालांकि रेश्मा ने उसके साथ "सोने" तक का "ऑफर" दे दिया था मगर हिमांशु न जाने किस मिट्टी का बना हुआ था, फिर भी राजी नहीं हुआ था । तब छीना झपटी करके वह चैन उड़ाने की कोशिश की गई मगर वह चैन मोटी थी इसलिए टूटी नहीं । इस तरह उनका प्लान फेल हो रहा था ।

इतने में हिमांशु ने उन पर आक्रमण कर दिया था । शादाब के पास एक बहुत छोटा सा चाकू हमेशा रहता था जिसे वह अपनी उंगलियों के बीच में इस तरह फंसा लेता था कि वह किसी को दिखाई न दे और जब वह मुक्के बरसाता जाता था , तब वह छोटा चाकू अपना काम कर रहा होता था । लोग समझते थे कि घूंसों की चोट लगी है मगर वह चोट असल में चाकू की होती थी । उसका असर दो चार घंटे बाद नजर आता था । 

पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने इस गुत्थी को सुलझाने में मदद की । हिमांशु के शरीर पर भी बहुत सारे छोटे छोटे घाव थे जो किसी चाकू से लगे थे । उससे ही उसकी मौत हुई थी । इस प्रकार "वो कौन थी" का राज अब पूरी तरह से खुल गया था । शाहिद, शादाब और उनके साथी जेल की चक्की पीस रहे हैं ।

हरिशंकर गोयल "हरि"
13.5 22 

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10 Comments

RISHITA

29-Sep-2023 07:21 AM

Very nice

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Anam ansari

14-May-2022 09:36 AM

Nice

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Shnaya

13-May-2022 09:58 PM

Very nice

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